धमतरी।
स्वतंत्रता दिवस के मद्देनज़र पुलिस रात-दिन एक करके सुरक्षा सुनिश्चित करने में जुटी है, लेकिन बदमाशों को पुलिस का कोई ख़ौफ़ नहीं है। हाल ही में, धमतरी में तीन युवकों ने पुलिस की पेट्रोलिंग गाड़ी को बीच सड़क पर रोका, हमला किया और सरकारी काम में बाधा डाली। सवाल यह उठता है कि जब क़ानून के रखवाले ही सुरक्षित नहीं हैं, तो आम जनता किससे उम्मीद लगाए? गुरुवार की शाम, जब पूरा शहर आज़ादी के जश्न की तैयारी में था, पुलिस टीम अपनी ड्यूटी पर निकली थी। लेकिन गाँव कोडेबोड़ के पास तीन सगे भाइयों - रणजीत, जितेंद्र, और शेखर नवरंगे पिता स्व. कोमल नवरंगे ने पुलिस की गाड़ी को जबरन घेर लिया। उन्होंने न सिर्फ़ गाड़ी का स्टीयरिंग और चाबी खींचने की कोशिश की, बल्कि पुलिसवालों से भी बदतमीज़ी की। अगर पुलिस मौके पर नरम पड़ती, तो हुड़दंगियों का मनोबल और बढ़ जाता। पुलिस ने तुरंत कार्रवाई करते हुए तीनों आरोपियों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है।

धमतरी के पुलिस अधीक्षक सूरजसिंह परिहार ने भले ही हुड़दंगियों के ख़िलाफ़ सख़्त कार्रवाई की बात कही हो, लेकिन यह घटना दिखाती है कि अब लोगों में पुलिस का कोई ख़ौफ़ नहीं बचा है।

 सवाल यह है कि

क्या हुड़दंगी इतने बेख़ौफ़ हो गए हैं कि वे पुलिस पर भी हमला करने से नहीं डरते?
 
 क्या यह क़ानून-व्यवस्था की विफलता है?

यह घटना सिर्फ़ धमतरी की नहीं, बल्कि पूरे देश में फैलती उस मानसिकता की कहानी है जहाँ लोग क़ानून को हल्के में लेने लगे हैं। जब पुलिस ही सुरक्षित नहीं है, तो आम जनता अपने अधिकारों और सुरक्षा के लिए किससे गुहार लगाएगी? यह सिर्फ़ एक रिपोर्ट नहीं, बल्कि समाज में फैल रही उस बीमारी पर एक टिप्पणी है जहाँ क़ानून का डर ख़त्म हो गया है। जब पुलिस पर ही हमला होने लगे, तो फिर आम जनता को अपनी सुरक्षा के लिए भगवान भरोसे ही रहना पड़ेगा।

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