धमतरी शहर में श्रद्धा और संस्कृति की पहचान माने जाने वाले तीन स्वागत द्वार कभी नगर निगम की पहल पर बनवाए गए थे। इनका उद्देश्य था शहर के प्रमुख मार्गों से आने-जाने वालों का भव्य स्वागत करना और धार्मिक, सांस्कृतिक धरोहरों की गरिमा को बढ़ाना। लेकिन आज यही स्वागत द्वार खुद जर-जर हाल में पड़े हैं। हालत इतनी खराब है कि अब ये द्वार स्वागत नहीं बल्कि सावधान कह रहे हैं। इन तीनों में से जो प्रवेश द्वार सबसे खराब स्थिति में है, वह है रामबाग से मां विंध्यवासिनी मंदिर जाने वाले मार्ग पर बना स्वागत द्वार। यह वही मार्ग है, जिससे श्रद्धालु हर दिन मंदिर दर्शन के लिए पहुंचते हैं। लेकिन अफसोस की बात है कि श्रद्धा का यह द्वार अब खतरे में खड़ा है पूरी तरह दरक चुका है, प्लास्टर झड़ चुका है
और कभी भी गिरने की स्थिति में है। स्थानीय लोगों का कहना है यह सिर्फ एक स्वागत द्वार नहीं, मां विंध्यवासिनी का प्रवेश द्वार है। यहां से भक्तों का आना-जाना लगा रहता है। अगर कोई हादसा हुआ तो जिम्मेदारी कौन लेगा? न सिर्फ रामबाग वाला, बल्कि तीनों प्रवेश द्वार की हालत समय के साथ जर्जर हो गई है। किसी की दीवारें दरक चुकी हैं, तो किसी का ढांचा का छड़ दिखने लगा है, तो कही ऊपर से जर्जर स्थिति में है। ये वही द्वार हैं जो एक समय शहर की शान माने जाते थे।
नागरिकों का आरोप है कि नगर निगम के अधिकारी आते हैं, फोटो खिंचवाते हैं, फाइल बनाते हैं, फिर आश्वासन देकर लौट जाते हैं। लेकिन काम? वो सालों से अधूरा ही पड़ा है। अब सवाल यह उठता है कि जब यह द्वार मां विंध्यवासिनी जैसे धार्मिक स्थल के लिए बना था, तो क्या उसकी देखरेख की जिम्मेदारी भी नगर निगम नहीं उठाएगा? क्या श्रद्धालुओं की सुरक्षा और शहर की छवि की कोई कीमत नहीं है? क्या नगर निगम किसी हादसे के बाद जागेगा? और सबसे बड़ा सवाल धमतरी की धार्मिक पहचान और जनता की सुरक्षा क्या अब सिर्फ भाषणों और आश्वासनों तक सिमट कर रह गई है?
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