धमतरी। भाई साहब छत्तीसगढ़ में आजकल खेत पर नेताओं का वीआईपी ड्रामा ऐसा चल रहा है कि पूछो मत एक तरफ हैं महिला एवं बाल विकास मंत्री लक्ष्मी राजवाड़े, जिन्होंने कुर्सी पर बैठकर रोपनी का फोटो क्या पोस्ट किया, लगा जैसे खेती नहीं, कोई इंस्टाग्राम चुनौती चल रही हो। अब जनता पूछ रही है ये किसानों का मनोबल बढ़ाने का ढोंग है या सिर्फ वोट बटोरने का खुला सियासी तमाशा?
मंत्री लक्ष्मी राजवाड़े ने कुर्सी पर बैठकर रोपनी की, फिर लंबी-चौड़ी बातें लिखीं - माटी की सुगंध, संस्कार, अस्मिता जैसे भारी-भरकम शब्द किसान भी बोले वाह नेतागिरी अब खेत में भी। पर जनता पूछ रही है मैडम, जब DAP खाद के लिए किसान बिलख रहा है, और कालाबाजारी चल रही है, तब आपकी ये कुर्सी-प्रचार क्यों? क्या आपकी एक तस्वीर से किसानों का पेट भर जाएगा? क्या आपको वाकई खेत में किसानों का पसीना नहीं, सिर्फ कैमरे की चमक दिखी? जब खाद नहीं मिलती, तब आपका माटी प्रेम कहां चला जाता है? क्या आपकी सरकार को किसानों का दर्द नहीं दिखता, या सिर्फ सोशल मीडिया पर लाइक बटोरने की फिक्र है?
मंत्री जी की रोपनी-फोटो के बाद धमतरी NSUI जिलाध्यक्ष राजा देवांगन ने तुरंत खेत में अपनी कुर्सी रख दी, पर विरोध के लिए राजा ने कहा, ये धान का खेत है, कोई पिकनिक स्पॉट नहीं। कुर्सी पर बैठकर रोपनी किसानों का अपमान है। उन्होंने किसानों का दर्द सुना - खाद नहीं मिल रही, ब्लैक में बिक रही है राजा ने कहा, सरकार अंधी बनी बैठी है और किसानों को बर्बाद कर रही है! NSUI ने साफ संदेश दिया है मंत्री जी माफी मांगें, तुरंत खाद उपलब्ध कराएं, और कालाबाजारियों को जेल भेजें, राजा देवांगन का कहना है कि वे किसानों की आवाज बनकर मैदान में उतरे हैं, क्योंकि सत्ताधारी सिर्फ फोटो खिंचवा रहे हैं, समाधान नहीं कर रहे.

अब मेरा सवाल किसानों और आमलोगों से एक तरफ फोटो वाली रोपनी, दूसरी तरफ विरोध वाली रोपनी क्या नेताओं के लिए किसान सिर्फ कैमरा-फोकस का बहाना है? तो फिर, क्या ये वोट की खेती है या सच में किसानों का भला? अपना जवाब जरूर दीजियेगा