तत्काल परिजनों ने रुद्री पुलिस को सूचना दी, जिसके बाद पुलिस और स्थानीय गोताखोरों की टीम ने मिलकर तालाब में सर्च ऑपरेशन शुरू किया। रविवार शाम 6 बजे तक लगातार तलाश जारी रही, लेकिन कोई सफलता नहीं मिली। सोमवार सुबह तक, लगभग 24 घंटे के अथक प्रयास के बाद, आखिरकार गोताखोरों को दुर्गा प्रसाद का शव तालाब से मिल गया। शव मिलते ही परिजनों में कोहराम मच गया। रुद्री पुलिस ने शव को पोस्टमॉर्टम के लिए जिला अस्पताल भेज दिया है और मामले की जांच में जुट गई है। पुलिस की प्रारंभिक जांच में डूबने से मौत का अंदेशा जताया जा रहा है, हालांकि पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट आने के बाद ही मौत के सही कारणों का खुलासा हो पाएगा। इस घटना ने खदाननुमा तालाबों की सुरक्षा पर सवाल खड़े कर दिए हैं। मुरूम खदान या 'मौत का कुआँ'? अब इस घटना के बाद, जिस जगह दुर्गा प्रसाद देवांगन की मौत हुई, उस पर नए सवाल उठ रहे हैं। जानकारी मिली है कि यह वास्तव में एक मुरूम खदान था जो काफी गहरा है। सूत्रों का कहना है कि यह कहीं न कहीं खनिज माइनिंग विभाग की लापरवाही का नतीजा है, जिसने खनन के नाम पर इसे 'मौत का कुआँ' बना दिया है। ग्रामीणों के अनुसार, रास्ते के दोनों ओर गहरी खाई है, जिससे आने-जाने वालों को हमेशा डर लगा रहता है। उनका आरोप है कि यहां अवैध रूप से मुरूम का खनन किया गया, लेकिन इसके बाद विभाग द्वारा सुरक्षा का कोई बंदोबस्त नहीं किया गया। आमतौर पर, खनन के लिए कितनी गहराई तक परमिशन होती है, यह तय होता है, लेकिन खनन माफियाओं द्वारा इन नियमों की धज्जियां उड़ाई गईं और इसे एक घातक गड्ढे में बदल दिया गया। स्थानीय लोगों का कहना है कि यहां दुर्घटना होने की आशंका हमेशा बनी रहती है।
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