दुर्गेश साहू धमतरी। शहर की गलियों में घूम रहे आवारा कुत्तों को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में बड़ा फैसला सुनाया है, आदेश में साफ कहा गया है कि सभी आवारा कुत्तों का बधियाकरण (Sterilization) और टीकाकरण अनिवार्य किया जाए, इतना ही नहीं, बधियाकरण के बाद उन्हें उसी स्थान पर छोड़ा जाना चाहिए जहां से उन्हें पकड़ा गया था। लेकिन कोर्ट ने एक अहम शर्त भी रखी है आक्रामक और हिंसक कुत्तों को दोबारा छोड़ा नहीं जाएगा, बल्कि उन्हें डॉग हाऊस में रखना होगा। अब असली मुश्किल यहीं से शुरू होती है। क्योंकि धमतरी नगर निगम के पास आज तक एक भी डॉग हाऊस (Dog Shelter/Animal Birth Control Centre) मौजूद नहीं है। लगभग सात आठ साल से न तो बधियाकरण की प्रक्रिया हुई है और न ही डॉग शेल्टर का निर्माण। नतीजा यह है कि आज शहर की गली मोहल्लों में आवारा कुत्तों की संख्या अनगिनत हो चुकी है। नगर निगम के आंकड़े भी इस लापरवाही की गवाही दे रहे हैं। जुलाई महीने में 438 लोगों को रेबीज का टीका लगाना पड़ा, वहीं अगस्त में अब तक 251 मामले सामने आ चुके हैं। यानी हर महीने सैकड़ों लोग आवारा कुत्तों के काटने से अस्पताल पहुंच रहे हैं, शहरवासी बताते हैं कि शाम ढलते ही मोहल्लों में कुत्तों का आतंक बढ़ जाता है, कई जगह तो बच्चे और बुजुर्ग घर से निकलने से भी डरते हैं। स्थिति यह है कि लोग मजबूरी में डंडा लेकर बाहर निकलते हैं। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद डॉग प्रेमियों में जहां खुशी है कि अब कुत्तों के अधिकार सुरक्षित रहेंगे, वहीं नागरिकों में गुस्सा है। लोगों का कहना है कि अगर निगम ने समय रहते बधियाकरण और डॉग हाऊस की व्यवस्था की होती तो आज हालात इतने बिगड़ते नहीं। निगम के द्वारा अब तक जगह चिन्हित तक नहीं की गई है। अब सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद निगम के सामने बड़ी चुनौती खड़ी हो गई है।

सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में अपने आदेश में कहा था कि 

1. आवारा कुत्तों की संख्या को नियंत्रित करने के लिए Animal Birth Control Rules 2023 का सख्ती से पालन हो।

2. बधियाकरण और टीकाकरण के बाद ही कुत्तों को छोड़ा जाए।

3. आक्रामक और हिंसक कुत्तों को शेल्टर में रखा जाए।

4. स्थानीय निकाय जिम्मेदार होंगे कि कुत्तों से इंसानों को खतरा न हो।

यानी सीधा संदेश यह है कि नगर निगमों को अब कुत्तों और इंसानों दोनों की सुरक्षा सुनिश्चित करनी होगी। धमतरी नगर निगम के लिए यह आदेश किसी अग्नि परीक्षा से कम नहीं है। न डॉग हाऊस है,  न बधियाकरण की व्यवस्था, न कोई ठोस प्लान। अब सवाल उठ रहा है कि क्या निगम सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन कर पाएगा या सिर्फ कागजी कार्रवाई करके जिम्मेदारी से बच निकलेगा?


नागरिकों का साफ कहना है कि अगर निगम ने समय रहते डॉग हाऊस बना लिया होता और बधियाकरण होता तो आज न बच्चों पर हमला होता, न इतनी परेशानी आती। अब सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद निगम की असलियत सामने आ गई है। अब देखना होगा कि धमतरी नगर निगम जल्द कोई ठोस कदम उठाता है या फिर हमेशा की तरह यह मामला भी बैठकों और फाइलों में दब कर रह जाएगा। लेकिन एक बात साफ है आवारा कुत्तों का आतंक और निगम की लापरवाही, दोनों मिलकर आम नागरिकों की जान सांसत में डाल रहे हैं।