दुर्गेश साहू। धमतरी में विकास कार्यों को लेकर राजनीतिक तकरार तेज़ हो गई है। विधायक ओंकार साहू और महापौर रामू रोहरा आमने-सामने हैं दोनों अपने-अपने बयान से एक-दूसरे पर श्रेय लेने की राजनीति का आरोप जड़ रहे हैं, जबकि जनता चाहती है कि काम समय पर और गुणवत्तापूर्ण पूरे हों।
विधायक ओंकार साहू ने कहा कि धमतरी विधानसभा का प्रतिनिधि होने के नाते वे लगातार काम करा रहे हैं। उनका कहना है कि महापौर का क्षेत्र सिर्फ नगर निगम है, ग्रामीण क्षेत्र नहीं, लेकिन वे विधानसभा की योजनाओं का श्रेय लेने में जुटे हैं, निगम में डीज़ल चोरी जैसे भ्रष्टाचार का भी श्रेय ले लें कि ये हमने कराया है। अभी तो एक ही सड़क की स्वीकृति मिली है, आने वाले समय में और भी कई सड़कें स्वीकृत होंगी रत्नाबांधा से मुजगहन बायपास, सिहावा चौक से अछोटा और अंबेडकर चौक से रुद्री तक। ये सब भी जब स्वीकृत होंगे तो महापौर उसे भी अपना काम बताएंगे। विधायक साहू ने यह भी कहा कि इन योजनाओं की नींव पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के कार्यकाल में रखी गई थी और यह पहले से प्रक्रिया में थी।
महापौर रामू रोहरा ने विधायक के आरोपों को पूरी तरह खारिज करते हुए कहा कि उनका मकसद सिर्फ विकास है, न कि श्रेय। उन्होंने कहा मैंने शपथ ग्रहण से पहले ही स्वीकृतियों के लिए काम शुरू कर दिया था। आज जो योजनाएँ ज़मीन पर दिख रही हैं, वही विधायक जी को खटक रही हैं, 17 करोड़ की स्वीकृति जब आई तो विधायक जी दावा करने लगे कि उन्होंने कराया है, लेकिन सच ये है कि वो मुख्यमंत्री नगरोत्थान योजना के तहत हुआ है। सारी स्वीकृतियाँ पूरी हो चुकी हैं, अब बस टेंडर लगना है। जनता विकास चाहती है, श्रेय किसे मिल रहा है ये मायने नहीं रखता। महापौर रोहरा ने यह भी तंज़ कसा कि खुद विधायक ने पहले सार्वजनिक मंच से कहा था तालाब सौंदर्यीकरण का काम चाहिए तो रामू रोहरा से मांग कीजिए। ऐसे में अब श्रेय की राजनीति करना जनता को गुमराह करने जैसा है।

सुनिए विधायक और महापौर ने क्या कहा 
स्थानीय नागरिकों का कहना है कि श्रेय की इस राजनीति में अक्सर समय और गुणवत्ता दोनों प्रभावित होते हैं। जनता के लिए असली सवाल यह है कि सड़कें कब तक बनेंगी और जो बनेंगी वे टिकाऊ होंगी या नहीं। धमतरी में विकास की गाड़ी पर अभी राजनीति की ब्रेक लगी है, विधायक और महापौर दोनों विकास का श्रेय अपने नाम करना चाहते हैं, लेकिन जनता की नज़र सिर्फ इस पर है कि काम कब ज़मीन पर उतरेगा क्योंकि श्रेय की बहस से ज़्यादा ज़रूरी है परिणाम।