एसपी की उसी बैठक के बाद घटी, जिसमें चाकूबाजी की घटनाओं पर विशेष निगरानी और निगरानी बदमाशों पर सख्ती के निर्देश दिए गए थे। पुलिस ने पांच अज्ञात आरोपियों के खिलाफ मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। सीसीटीवी फुटेज और ग्रामीणों के बयानों के आधार पर आरोपियों की पहचान की कोशिश जारी है।
साथ ही सोमवार रात्रि करीब 09 बजे के आस पास धमतरी सीटी कोतवाली क्षेत्र के बठेना पारा वार्ड में एक और क्रूर घटना घटी। 28 वर्षीय लोमन ध्रुव, जो शराब के नशे में था, घरेलू बात को लेकर अपनी मां पूर्णिमा ध्रुव (50) और नानी लखनित ध्रुव (72) को लकड़ी के भत्ते से बुरी तरह पीटा। हमले में बुजुर्ग महिला लखनित की उपचार के दौरान मौत हो गई। पूर्णिमा गंभीर रूप से घायल हैं और जिला अस्पताल में भर्ती हैं। लोमन ध्रुव को मौके पर गिरफ्तार कर लिया गया। पुलिस ने धारा 302, 323 और 34 के तहत मामला दर्ज किया है। बताया जा रहा है कि आरोपी मुख्य रूप से अंतागढ़ का रहने वाले है जो पिछले कुछ वर्षों से अपने मां के साथ नानी के घर धमतरी बठेना में रहते थे युवक को शराब का लथ था और आए दिन झगड़े करता रहता था। इसी बीच खौफनाक वारदात को अंजाम दे बैठा
01 सितंबर को आयोजित क्राइम मीटिंग में एसपी ने लंबित मामलों के त्वरित निराकरण, चाकूबाजी पर निगरानी, फरार आरोपियों की गिरफ्तारी और नशे के खिलाफ कार्रवाई के सख्त निर्देश दिए थे। इस बैठक में 13 अधिकारियों को लापरवाही के आरोप में कारण बताओ नोटिस भी जारी किए गए। लेकिन अगले दिन ही दो गंभीर हत्याएं हो जाने से प्रशासन की योजनाओं पर सवाल उठ रहे हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि बैठकों में तो बहुत कुछ कहा जाता है, लेकिन गांवों और आवासीय कॉलोनियों में रात के समय पुलिस गश्त कम होने से अपराधियों को आसानी मिल रही है।
पुलिस प्रशासन ने विज्ञप्ति जारी कर बताया की 2025 में अब तक की अवधि में 2024 की तुलना में सभी प्रमुख अपराधों में 15 से 20 प्रतिशत की कमी आई है, लेकिन इन घटनाओं ने चुनौती बढ़ा दी है। एसपी की मीटिंग में निर्देश जारी हुए, नोटिस बांटे गए, लेकिन अगले दिन ही दो हत्याएं घट गईं। यह सिर्फ एक संयोग नहीं, बल्कि एक संकेत है कि अपराध नियंत्रण सिर्फ बैठकों और आंकड़ों से नहीं होता। असली जरूरत है जमीन पर तैनाती, त्वरित गिरफ्तारी, सख्त सजा और नशे व हिंसा के प्रति बढ़ते अहंकार पर नियंत्रण की। अगर धमतरी को अपराध के नाम पर पहचाना न जाए तो पुलिस को सिर्फ निर्देश जारी करने के बजाय, समाज के दिल तक पहुंचने की रणनीति बनानी होगी।
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