दुर्गेश साहू धमतरी।
दशहरे की रौनक इस बार धमतरी में और भी खास होने वाली है, क्योंकि 15 साल बाद रामलीला मैदान में फिर गूंजेगा पहलाद कुंभकार के हुनर का कमाल। 40 फीट ऊंचे रावण का पुतला बन रहा है, लेकिन यह सिर्फ परंपरा का हिस्सा नहीं, बल्कि एक ऐसे कारीगर की जिजीविषा और संघर्ष की कहानी है, जिसने जिंदगी की सबसे बड़ी चुनौतियों के बावजूद हार नहीं मानी। 
पहलाद ने करीब 5 से 7 साल तक धमतरी के रामलीला मैदान के लिए रावण का पुतला तैयार किया। लेकिन मुनाफा न मिलने की वजह से उन्होंने बड़े पुतलों का काम छोड़ दिया था। इसके बाद धमतरी के रामलीला मैदान में 15 साल तक रावण दहन में उनकी कला से दूरी बनी रही। इसी बीच किस्मत ने उन्हें एक बड़ा झटका दिया। करीब 5 साल पहले मिट्टी खोदते वक्त अचानक मिट्टी का ढेर उन पर गिर पड़ा और हादसे में उनके दोनों पैर हमेशा के लिए काम करना बंद कर गए।
आज पहलाद चल नहीं सकते। उनके पास एक पुरानी इलेक्ट्रॉनिक हैंड साइकिल है, लेकिन वह भी आधी-अधूरी है, जिसे चलाने के लिए किसी का सहारा चाहिए। पहलाद बताते हैं कि वे कई बार विभाग और कलेक्ट्रेट के चक्कर लगा चुके हैं, लेकिन हर बार उन्हें सिर्फ इंतजार का आश्वासन मिला। बावजूद इसके उनका जज़्बा टूटा नहीं। आज वे अपने बेटों के साथ मिलकर मूर्तियां बनाते हैं और दशहरा में फिर से 40 फीट ऊंचे रावण को खड़ा करने जा रहे हैं। पहलाद कहते हैं पैर अब साथ नहीं देते, लेकिन हाथों का हुनर और रावण बनाने की लगन आज भी ज़िंदा है। इस बार का रावण बांस और पेपर से तैयार हो रहा है, जिसका रंग नीला और सफेद रखा गया है। पहलाद का दावा है कि यह पुतला पहले से कहीं ज्यादा आकर्षक और भव्य होगा।
गुरुवार को नगर निगम उपायुक्त प्रवीण सर्वा ने निर्माण स्थल का निरीक्षण किया। उन्होंने पुतले की प्रगति देखकर संतोष जताया और कारीगरों से चर्चा की। उपायुक्त ने कहा बारिश की वजह से काम में थोड़ी देरी जरूर हुई थी, लेकिन अब तेजी से निर्माण हो रहा है। हमारा लक्ष्य है कि दशहरा से दो दिन पहले पुतला तैयार होकर खड़ा हो जाए। मैदान में सुरक्षा और आतिशबाजी की पूरी व्यवस्था भी की जा रही है। धमतरी के दशहरे की रौनक हर साल की तरह इस बार भी लोगों को आकर्षित करेगी, लेकिन इस बार यह उत्सव पहलाद के जज़्बे की वजह से और भी खास बन गया है।