दुर्गेश साहू धमतरी। जब से शहर को हाईटेक बस स्टैंड की सौगात मिली है, तब से लेकर आज तक इसकी चर्चा किसी न किसी अंदाज़ में जारी है। और चर्चा क्यों न हो अब मामला सिर्फ यात्रियों की सुविधा का नहीं, बल्कि टेंडर की पिच पर उतर चुके नए खिलाड़ियों का है। सूत्र बताते हैं, टेंडर का खेल इतना दिलचस्प है कि शहर की सियासी गली में अब बस एक ही चर्चा है कौन लगाएगा आज दांव? क्योंकि आज खुलेगा वो टेंडर, जिस पर कई निगाहें टिकी हैं। जानकारी के मुताबिक टेंडर की अंतिम तिथि 30 सितंबर थी, लेकिन मामला यहीं खत्म नहीं हुआ। सूत्रों के अनुसार, छुट्टी के दिन भी दफ़्तर खुलवाकर कुछ खास फाइलें खोली गईं। बताया जा रहा है कि कर्मचारियों पर दबाव बनाया गया टेंडर हमारे नाम से खुलना चाहिए। अब सवाल ये कि जब सिस्टम छुट्टी के दिन सोया रहता है, तो यह फाइलें जाग कैसे गईं? नियम साफ हैं नगर निगम से जुड़े किसी जनप्रतिनिधि या पदाधिकारी को किसी भी ठेके में भाग लेने की अनुमति नहीं है। टेंडर में सिर्फ वही शामिल हो सकता है जिसके पास वैध फर्म रजिस्ट्रेशन, जीएसटी नंबर, अनुभव प्रमाणपत्र और वित्तीय योग्यता हो। लेकिन खेल यहाँ हाईटेक है नाम किसी और का, और काम किसी और का। सूत्रों की मानें तो कुछ जनप्रतिनिधियों ने अपने करीबी के नाम पर फाइलें लगाई हैं। यानी मैदान में उतरे तो किसी और की जर्सी में, पर रन बना रहे हैं खुद के खाते में। नगर निगम प्रशासन ने अब तक इस पर कोई बयान नहीं दिया है, लेकिन शहर में कानाफूसी जोरों पर है। एक स्थानीय व्यापारी ने तंज कसते हुए कहा बस स्टैंड तो अभी नक्शे में है, पर टेंडर की राजनीति पहले ही हाईटेक मोड में पहुंच गई है।
अब शहर में बस एक ही सवाल गूंज रहा है आखिर कौन है वो जो नियमों को दरकिनार कर छुट्टी के दिन दफ्तर खुलवाया था? कौन है वो जो जनता के पैसे के मैदान में नाम बदलकर खेल रहा है? और सबसे बड़ा सवाल क्या प्रशासन इस खेल के अंपायर बनेगा या दर्शक? आज खुलेगा टेंडर आज लगेगा दांव। अब देखना है कि धमतरी को हाईटेक बस स्टैंड मिलेगा या हाईटेक सेटिंग स्टैंड?
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