काला शीशा, सफेद हुकूमत आखिर किसे कानून का डर नहीं?
October 05, 2025
दुर्गेश साहू।आम आदमी की गाड़ी पर ब्लैक शीशा देखते ही पुलिस का एक्टिव मोड ऑन हो जाता है सीधा चालान, मगर वही शीशा जब रसूखदार वाहनों पर चढ़ता है, तो क्या सिस्टम का ध्यान कहीं और भटक जाता है? यह सवाल इसलिए उठ रहा है क्योंकि कांग्रेस भवन में एक ऐसी गाड़ी खड़ी मिली जिस पर चढ़ा काला शीशा सीधे तौर पर नियमों का उल्लंघन कर रहा था। कांग्रेस भवन में आने-जाने वाले सभी लोगों ने इस खुले उल्लंघन को देखा। गाड़ी किसी कार्यकर्ता की बताई जा रही है। यह मामला तब और गंभीर हो जाता है जब याद आता है कि साल 2012 में सुप्रीम कोर्ट ने अपराधों पर लगाम लगाने के लिए स्पष्ट आदेश दिया था कि किसी भी चारपहिया वाहन पर टिंटेड या ब्लैक ग्लास लगाना पूरी तरह प्रतिबंधित है। यह छूट सिर्फ़ चुनिंदा वीआईपी सुरक्षा वाहनों को ही मिल सकती है। धमतरी में रसूख और नियम की अनदेखी का पूरा खेल खुलता है।
लोगों का कहना है कि धमतरी की सड़कों पर कई जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों के वाहन भी बेधड़क काले शीशे लगाकर घूम रहे हैं। सवाल उठना लाजमी है, क्या रोजी-मजदूरी करने वालों का चालान काटने में पुलिस इतनी व्यस्त है कि उसे सुप्रीम कोर्ट के आदेश की परवाह ही नहीं रही? सूत्र बताते है ऐसे मामलों में कमीशनखोरी और राजनीतिक दबाव का खेल चलता है, जिसके आगे सुप्रीम कोर्ट का आदेश भी दम तोड़ देता है। इस पूरे मामले पर ट्रैफिक डीएसपी मोनिका मरावी का पक्ष जानने की कोशिश की गई, मगर उन्होंने फोन कॉल नहीं उठाया। अब देखना यह होगा कि क्या धमतरी का प्रशासन इस रुतबे के प्रतीक बने काले शीशे को हटवाकर कानून का राज कायम करेगा, या फिर यह ब्लैक शीशा ही धमतरी की सड़कों पर नियम से ऊपर होने का ऐलान करता रहेगा।
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