एनएसयूआई जिला अध्यक्ष राजा देवांगन ने कहा कि महाविद्यालय में पढ़ने वाले अधिकांश छात्र ग्रामीण और आर्थिक रूप से पिछड़े तबकों से आते हैं। ऐसे में फीस में की गई यह बढ़ोतरी छात्रों की पढ़ाई के अधिकार पर सीधा हमला है।
एनएसयूआई ने कॉलेज प्रशासन से जनभागीदारी समिति और कॉलेज स्टाफ की संयुक्त बैठक बुलाकर फीस में तत्काल संशोधन की मांग की है। साथ ही चेतावनी दी है कि यदि जल्द निर्णय नहीं लिया गया तो आंदोलनात्मक कदम उठाए जाएंगे। यह भी कहा गया कि जब तक जिले के सभी कॉलेजों में राहत नहीं मिलती, तब तक “बस्ता खाली - जेब खाली, छात्र अधिकार आंदोलन” चरणबद्ध तरीके से जारी रहेगा।
एनएसयूआई ने यह भी स्पष्ट किया कि यह केवल एक महाविद्यालय की बात नहीं है – जिले के कई कॉलेजों स्कूलों में, पुस्तक वितरण, फीस वृद्धि, शिक्षक की कमी जैसे गंभीर मुद्दे हैं, और अब छात्र चुप नहीं बैठेंगे।
एनएसयूआई की प्रमुख माँगें:
• मनमाने तरीके से की गई फीस वृद्धि पर तत्काल रोक
• जनभागीदारी शुल्क को पूर्ववत ₹500 पर लाया जाए
• अशासकीय शुल्कों की समीक्षा कर उन्हें न्यूनतम किया जाए
• फीस निर्धारण में पारदर्शिता लाई जाए और छात्रों को विश्वास में लिया जाए
एनएसयूआई ने यह भी कहा कि प्रशासन ने यदि छात्रों की बात को अनसुना किया, तो आने वाले दिनों में कॉलेजों के बाहर बड़े स्तर पर विरोध प्रदर्शन किया जाएगा।
एनएसयुआई जिलाध्यक्ष के साथ पारसमणी साहू , नोमेश सिंहा , पूरन सोनी, लिकेश साहू, घनश्याम साहू,समीर मानिकपुरी, हार्दिक , उदय सिन्हा,लक्की ढीमर,सुमीत साहू उपस्थित रहे
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