धमतरी। जब देश का युवा रोजगार और सरकारी नौकरियों की दौड़ में खुद को खोता जा रहा है, एक ऐसा शख्स भी है जिसने पांचवीं फेल होने के बाद भी हार नहीं मानी न पढ़ाई से, न हालात से और न ही समाज की उस गंदगी से जो नशे के ज़रिये फैल रही है।
जी हम हम बात कर रहे हैं कुरूद के ग्राम चर्रा निवासी तुलसीराम साहू की जो पेशे से एक सामान्य मज़दूर हैं, लेकिन सोच में बड़े और समाज के लिए मिसाल हैं। रोजी मजदूरी की कमाई से घर चलाते हैं, और जो कुछ बचता है, उससे हर साल देश को नशा मुक्त करने के लिए एक लंबी और साहसी यात्रा पर निकल जाते हैं। इस बार उन्होंने धमतरी से साइकिल उठाई और सीधे छत्तीसगढ़ से होते हुए पंजाब के ब्यास डेरा (राधास्वामी सत्संग) तक पहुंचे। 16 दिन जाना, 16 दिन आना रोज़ाना 150 किलोमीटर साइकिल चला 52 सौ का सफर वो भी केवल समाज को नशे से बचाने के उद्देश्य से। रास्ते में पेट्रोल पंप, मंदिर, ढाबा, चौराहों पर रुकते, लोगों से मिलते, संवाद करते और अपनी बात कहते भाई साहब, नशा सिर्फ आपको नहीं, पूरे समाज को खा रहा है। तुलसीराम खुद कहते हैं, मैं पांचवीं के बाद पढ़ाई नहीं कर सका, बैंस चराते हुए बड़ा हुआ हूं... लेकिन जब बच्चों को शराब और नशे में डूबा देखा तो मन कांप गया... तभी से ठान लिया कि मुझे कुछ करना है। और तब से हर साल एक बार अपनी कमाई से इस अभियान को जारी रखा है। पहली बार वो 2020 में धमतरी से दिल्ली लाल किला तक पहुंचे थे महिलाओं की सुरक्षा और सम्मान को लेकर। फिर 2024 में अयोध्या राम जन्मभूमि तक यात्रा की। और अब, ये तीसरी बड़ी यात्रा 6 राज्यों में नशा मुक्ति का संदेश लेकर निकले।तुलसीराम कोई नामी नेता, समाजसेवी या अफसर नहीं हैं। वो सिर्फ़ एक आम मजदूर हैं, जो दिहाड़ी से पैसे जोड़ते हैं और फिर उन्हें देश के नाम खर्च कर देते हैं। समाज को सही रास्ता दिखाने के लिए न कोई स्पॉन्सर है, न प्रचार... फिर भी उनका हौसला इतना ऊंचा है कि आज वो हजारों युवाओं को प्रेरणा दे रहे हैं। उन्होंने छत्तीसगढ़ के बालोद, धमतरी, कांकेर, दुर्ग, रायपुर जैसे जिलों में नशा मुक्ति पर ट्रेनिंग और जागरूकता कार्यक्रम भी चलाए हैं। 2019 में अंतरराष्ट्रीय स्तर की एक साइकिल रेस में हिस्सा लेकर 12वें स्थान पर रहे बिना किसी विशेष ट्रेनिंग या सुविधा के।
तुलसीराम जैसे लोग दिखाते हैं कि अगर इरादे नेक हों, तो शिक्षा, संसाधन और मंच की कमी भी आपकी राह नहीं रोक सकती।
आज समाज को जरूरत है ऐसे ही सच्चे, ज़मीनी और साहसी नायकों की।
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