धमतरी। शनिवार देर शाम शहर की सड़कों पर अचानक पुलिस की तैनाती बढ़ गई, जगह-जगह बैरिकेड्स लगे, गाड़ियों की जांच शुरू हुई… और कुछ ही देर में शहरवासियों के बीच चर्चा फैल गई क्या कोई बड़ा आरोपी पकड़ा गया? लोगों को लगा कि शायद बीते दिनों हुए ज्वेलर्स लूट के आरोपी या अर्जुनी थाना से फरार आरोपी को पकड़ने कोई बड़ी कार्रवाई हो रही है। लेकिन थोड़ी ही देर में साफ हुआ कि ये सब कुछ एक पूर्व नियोजित मॉकड्रिल था जिसमें पुलिसकर्मियों को ही लुटेरे बनाकर पकड़ने का अभ्यास किया गया।
ड्रिल अच्छी बात है,लेकिन सवाल भी हैं।

एक तरफ पूरा शहर घेर कर त्वरित कार्रवाई का अभ्यास हो रहा है,

और दूसरी तरफ वास्तविक आरोपी अब तक पकड़ से बाहर हैं।
खासतौर पर अर्जुनी थाना से फरार आरोपी को लेकर समाज में गहरी नाराज़गी है। आदिवासी समाज ने इस विषय पर प्रशासन का ध्यान आकृष्ट किया, यहां तक कि गिरफ्तारी को लेकर अल्टीमेटम भी दिया गया। उनकी मांगें स्पष्ट हैं जल्द गिरफ्तारी हो, अन्यथा आंदोलन होगा। हालांकि, विभाग ने मॉकड्रिल में बेहतरीन समन्वय और तकनीकी दक्षता दिखाई लेकिन जनता का दर्द कुछ और कहता है। लोग पूछते हैं जब सबकुछ इतने अच्छे से प्लान किया जा सकता है, तो असली आरोपियों को पकड़ने में देरी क्यों? क्या हमें अब सिर्फ अभ्यास दिखाकर आश्वस्त किया जाएगा?
प्रशासन की कार्यशैली पर सवाल नहीं, लेकिन जनता की पीड़ा और समाज की बेचैनी को नजरअंदाज करना भी ठीक नहीं। क्योंकि मॉकड्रिल भरोसा नहीं देती, असली कार्रवाई देती है। अब जनता को जवाब नहीं, नतीजे चाहिए।