कार्यक्रम की शुरुआत मां सरस्वती, भारत माता एवं छत्तीसगढ़ महतारी के चालचित्र पर पूजा अर्चना से हुआ
सभी शिक्षक स्टाफ एवं छात्र-छात्राओं ने पूजा अर्चना की।
प्राचार्य श्रीमती लक्ष्मी रावटे ने कहा कि छत्तीसगढ़ की धरती पर जब सावन की पहली अमावस्या दस्तक देती है तो प्रकृति के हर कोने में हरियाली की गूंज सुनाई देने लगती है। इसी उल्लास और जीवतता का प्रतीक है हरेली तिहार जो न केवल कृषि जीवन का उत्साह है बल्कि छत्तीसगढ़ की गहराई से जुड़ी संस्कृति परंपरा और लोक चेतना की झलक भी है। इस दिन सभी लोग खेती किसानी से जुड़े औजारों की पूजा करते हैं। इस दिन हल गैती कुदाल जैसी कृषि औजारों की पूजा की जाती है। किसान इन्हें सजा कर धूप दीप दिखाते हैं यह कर्म न केवल प्रकृति और औजारों के प्रति श्रद्धा को दर्शाता है बल्कि जीवन की बुनियादी विनम्रता को भी प्रकट करता है। गौरी गौरा की पूजा महिलाएं पारंपरिक गीतों और पकवानों के साथ करती है।
साथ ही समापन विचार में कहा गया की हरेली त्यौहार छत्तीसगढ़ की आत्मा है एक ऐसा पर्व जो हरियाली से जीवन परंपरा से गर्व और एकता से शक्ति का संचार करता है यह केवल त्यौहार नहीं बल्कि एक संस्कृतिक संवाद है जो अतीत की गूंज को वर्तमान में जीवित रखकर भविष्य को संवारता है।
इस अवसर पर बच्चों को विभिन्न प्रकार के खेल जैसे गेंड़ी चढ़ना, खो-खो, कब्बडी, कुर्सी दौड़, फुगड़ी खेल कराया गया।
इस अवसर पर शिक्षिका लीला साहू, मोहन साहू, वीणा साहू, वर्षा देवांगन, पूर्वी सोनकर, रूपा यादव, ज्योति रामटेके, प्रियंका यादव, दुर्गा देवांगन, सोनाली रजक, छाया तिवारी, फाल्गुनी ढीमर, काजल यादव, भूखीन ध्रुव सहित सभी छात्र-छात्राएं उपस्थित थे। कार्यक्रम के अंत में प्रसादी वितरण किया गया।
विज्ञापन
0 Comments