पूजा की शुरुआत नाग देवता के छायाचित्र पर पुष्प गुलाल एवं नारियल लगाकर किया गया साथ ही छात्र छात्राओं एवं शिक्षकों ने नाग देवता की पूजा अर्चना की।
तत्पश्चात प्राचार्य लक्ष्मी रावटे बताया की हिन्दू पंचांग के अनुसार श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को हर साल नाग पंचमी मनाई जाती है। हिंदू संस्कृति में यह दिन नागों के प्रति बड़े धार्मिक उत्साह और भक्ति के साथ मनाया जाता है, इस दिन भक्त नाग देवता की पूजा करते हैं और अपने परिवार की कुशलता के लिए प्रार्थना करते हैं। एवं इस दिन हर घर में नाग देवता की पूजा का विधान है। माना जाता है कि इस दिन नाग पूजा करने से व्यक्ति विशेष के कालसर्प दोष से मुक्ति मिल जाती है।
विद्यालय के छात्र छात्राओं ने नाग पंचमी के पर्व के जुडी बहुत से कथाओं के बारे में एक-एक करके बताया जिसमें से एक महाभारत में जन्मेजय के नाग यज्ञ की कहानी है, जिसके मुताबिक जन्मेजय के नाग यज्ञ के दौरान बड़े-बड़े विकराल नाग अग्नि कोण में जलने लगे उसे समय आस्तिक नामक ब्राह्मण सर्प यज्ञ रोककर नागों की रक्षा की थी या पंचमी की तिथि थी। इसी के बाद यह नाग पंचमी मनाई जाने लगी।
विद्यालय छात्र संघ की अध्यक्ष कु. डिंपल तारक ने बताया कि इस दिन नागों की पूजा करने से कुंडली में मौजूद कालसर्प दोष के प्रभाव समाप्त हो जाते हैं साथ ही घर में सुख शांति और समृद्धि आती है।
शिक्षिका लीला साहू ने बताया की नाग पंचमी के दिन मुख्य रूप से नाग देवता की उपासना और उन्हें दूध अर्पित किया जाता है मानता है कि यदि नाग पंचमी पर सच्चे भाव से नाग देवता को दूध पिलाया जाए तो सड़क को काल सर्प दोष से मुक्ति और मन में सांप का वह समाप्त होता है।
कार्यक्रम के अंत में शिक्षिका वर्षा देवांगन ने बताया कि शास्त्रों में नाक को भगवान शिव का गहना माना जाता है। साथी सभी शिक्षा की स्टाफ एवं छात्र-छात्राओं को नाग पंचमी की शुभकामनाएं दी। इस अवसर पर मोहन साहू, वीणा साहू, पूर्वी सोनकर, रूपा यादव, ज्योति रामटेके, प्रियंका यादव, दुर्गा देवांगन, सोनाली रजक, छाया तिवारी, फाल्गुनी ढीमर, भूखीन ध्रुव सहित सभी छात्र छात्राएं उपस्थित थे। कार्यक्रम के अंत में सभी को प्रसादी वितरण किया गया।
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