धमतरी। कभी कोई खामोशी चीख बन जाती है... कभी एक खाली दरवाज़ा महीनों खुला रह जाता है... और कभी किसी मां की आंखें बस इंतज़ार में ही बूढ़ी हो जाती हैं। किसी के जाने से सिर्फ एक इंसान नहीं खोता, बल्कि एक घर बिखर जाता है, रिश्तों की नींव हिल जाती है और उम्मीदें धुंधला जाती हैं। धमतरी में भी कुछ घरों की यही हालत थी जहां बेटे-बेटियों के जाने के बाद हर आहट पर दरवाज़ा खुलता था, हर रात किसी लौटने की आस में कटती थी। लेकिन इस बार फर्क ये था कि इन खोए हुए लोगों को ढूंढने निकल पड़ी वर्दी... और फिर जो हुआ, उसने कई घरों में फिर से रौशनी ला दी। धमतरी पुलिस द्वारा पुलिस अधीक्षक सूरज सिंह परिहार के नेतृत्व में 1 जून से 30 जून 2025 तक चलाया गया ऑपरेशन तलाश ऐसा ही एक प्रयास था जहां संवेदनशीलता और तकनीक ने मिलकर इंसानियत की जीत दर्ज की। एक महीने के भीतर 52 लापता महिला, पुरुष और बालिकाओं को पुलिस ने तलाश कर सकुशल उनके घरों तक पहुंचाया। ये सिर्फ एक आँकड़ा नहीं, बल्कि 52 परिवारों में लौटी साँसें थीं।
ये वो पल था जब किसी मां ने फिर से बेटे को सीने से लगाया, किसी बहन ने भाई को लौटते देखा, और किसी पिता की आंखों से सुकून की नमी बह निकली।इस अभियान में सोशल मीडिया इनपुट, कॉल ट्रेसिंग, परिजनों से लगातार संवाद और तकनीकी विश्लेषण का उपयोग किया गया। थाना कोतवाली, भखारा और कुरूद की टीमों ने बेहतरीन योगदान दिया। कोतवाली और भखारा ने 10-10 गुम इंसान ढूंढे, जबकि कुरूद थाना ने 9 लोगों को दस्तयाब किया। शेष 23 लोगों को अन्य थानों की मदद से वापस लाया गया। अभियान के बाद भी पुलिस का प्रयास थमा नहीं। 1 जुलाई से 15 जुलाई तक के भीतर 23 और गुमशुदा लोगों को खोज निकाला गया, जिनमें 2 बालक, 1 बालिका, 5 पुरुष और 15 महिलाएं शामिल थीं। इनमें कुछ कहानियाँ बेहद चौंकाने वाली थीं। कुछ महिलाएं सोशल मीडिया के बहकावे में आकर घर छोड़ चुकी थीं, कुछ किशोरियां प्रेम संबंधों के कारण बाहर चली गई थीं, तो कुछ मानसिक रूप से अस्वस्थ लोग दूर-दराज़ में भटकते मिले। धमतरी पुलिस ने हर मामले में न सिर्फ संवेदनशीलता दिखाई, बल्कि समय पर कार्रवाई कर लोगों को सुरक्षित घर पहुंचाया। इस उत्कृष्ट कार्य के लिए पुलिस अधीक्षक सूरज सिंह परिहार ने कोतवाली, भखारा और कुरूद थाना टीमों को सम्मानित करने की घोषणा की है। धमतरी पुलिस का यह प्रयास एक मिसाल है जहां आंकड़ों से नहीं, संवेदनाओं से काम हुआ। जहां हर गुम इंसान सिर्फ नाम नहीं था, बल्कि किसी के जीवन का हिस्सा था और उसे वापस लाना सिर्फ जिम्मेदारी नहीं, एक सच्चा मानव धर्म था।
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