दुर्गेश साहू धमतरी। शहर और गांवों की गलियों में मौजूद चाय की टपरियां अब सिर्फ चाय पीने की जगह नहीं रहीं, बल्कि धीरे-धीरे नशे की आदतों की जन्मभूमि बनती जा रही हैं। सूत्रों की मानें तो इन टपरियों पर बैठे छोटे-छोटे बच्चे सिर्फ चाय ही नहीं पी रहे, बल्कि सिगरेट और तंबाकू जैसे छोटे नशे का भी सेवन कर रहे हैं। स्थिति इतनी गंभीर है कि कई बच्चे स्कूल बंक कर दिनभर इन टपरियों पर बैठे रहते हैं। शुरुआत में चाय और सिगरेट से शुरू होने वाला यह शौक, धीरे-धीरे बड़े नशे का रूप ले लेता है। जानकारों का कहना है कि समाज में बढ़ते नशे की जड़ें अक्सर यहीं से पनपती हैं। स्थानीय लोगों ने भी चिंता जताई है कि चाय की टपरियों पर बिना रोकटोक बच्चों को सिगरेट और अन्य नशे का सामान मिलना बेहद खतरनाक है। अगर इस पर रोक नहीं लगी, तो यह लत बच्चों का भविष्य तबाह कर सकती है।
समाजसेवियों का कहना है
कि नशामुक्त समाज की शुरुआत छोटे नशे पर लगाम लगाने से ही होगी। शासन-प्रशासन को चाहिए कि चाय टपरियों पर नाबालिगों को नशे का सामान बेचने वालों पर कड़ी कार्रवाई की जाए और बच्चों को इस दलदल से बाहर निकाला जाए।
स्थानीय पालक नरेंद्र यादव ने बताया
हमारा बच्चा सुबह स्कूल जा रहा हु कहता है, लेकिन कई बार हमें पता चलता है कि वो स्कूल नहीं गया है। मोहल्ले के लोग बताते हैं कि वो दोस्तों के साथ चाय की टपरी पर बैठा है। धीरे-धीरे बच्चों में गुटखा, सिगरेट जैसी आदतें लग रही हैं। ये बहुत चिंता का विषय है।
शिक्षक रामकुमार साहू ने बताया
बच्चों में नशे की शुरुआत मज़ाक में होती है, लेकिन धीरे-धीरे ये खतरनाक लत बन जाती है। चाय की टपरियों में आसानी से सिगरेट और अन्य नशे का सामान मिल जाना सबसे बड़ी समस्या है। प्रशासन को तुरंत कार्रवाई करनी चाहिए।
दुकानदार सफाई देते हुए कहा
हम तो सिर्फ चाय बेचते हैं। बच्चे जबरदस्ती बैठते हैं तो हम क्या कर सकते हैं। लेकिन हम नशे का सामान नहीं बेचते… अगर कोई लाता है तो हमारी जिम्मेदारी नहीं है।
ये कोई साधारण खबर नहीं, बल्कि हमारी आने वाली पीढ़ी के भविष्य की चिंता है। इस खबर के जरिए हमारा मकसद किसी चाय दुकान या टपरी को टारगेट करना नहीं है, बल्कि समाज को आईना दिखाना है। धमतरी को नशा मुक्त बनाना हम सबकी जिम्मेदारी है। छोटे बच्चे जब छोटे-छोटे नशे से शुरुआत करते हैं, तो वही आदतें आगे चलकर बड़े खतरे का रूप ले लेती हैं। आज अगर हम नहीं चेते, तो कल शायद बहुत देर हो जाएगी।इसलिए जरूरत है कि हम सब मिलकर जागें, कदम उठाएं और अपने बच्चों को नशे के अंधेरे से बचाएं। क्योंकि आपका, हमारा और पूरे समाज का सपना एक सुरक्षित, स्वस्थ और नशा मुक्त धमतरी है।
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