अब भाजपा के पार्षदों ने गुरुवार को सिटी कोतवाली जाकर कांग्रेस पर एफआईआर दर्ज करने की मांग ठोक दी हैं वहीं भाजपा पार्षद विजय मोटवानी ने पलटवार में कांग्रेस के पुराने राज को खोला और कहा कि जब निगम में कांग्रेस की सत्ता थी, तब RTI से जानकारी निकली गई थी जिसमें लगभग 27 से 28 लाख रुपए का पेट्रोल-डीजल घोटाला हुआ था। अब जब महापौर रामू रोहरा के नेतृत्व में नगर निगम जीरो टॉलरेंस और सुशासन की सरकार है, तब झूठे आरोप लगाकर महापौर की छवि खराब की जा रही है।
अब शहरवासियों की सवालों की बौछार होना लाजिमी है
जब कांग्रेस की सरकार थी और नगर निगम में RTI लगाकर भाजपा पार्षदों ने 27 से 28 लाख रुपये की डीजल-पेट्रोल चोरी का पर्दाफाश किया था, तो फिर इतनी बड़ी आर्थिक गड़बड़ी के बावजूद अब तक कोई ठोस कार्रवाई क्यों नहीं हुई?
क्या उस वक्त की प्रशासनिक चुप्पी और राजनीतिक गठजोड़ ने उस घोटाले को धूल तले दफना दिया?
और सबसे बड़ा सवाल क्या इस बार भी वही होगा? क्या फिर से कागज़ी बयानबाज़ियों और प्रेस कॉन्फ्रेंसों में ही पूरा मामला सिमट जाएगा? या इस बार वास्तव में दोषियों तक जांच पहुंचेगी और कार्रवाई होगी?
क्योंकि ये मामला सिर्फ़ डीजल का नहीं, ये मामला उस सिस्टम का है जिसे ईमानदार और पारदर्शी होना चाहिए।
सबसे बड़ा सवाल क्या कोई जांच होगी? और अगर हां, तो कब?
क्योंकि ये सिर्फ़ डीजल की चोरी नहीं, ये उस आम नागरिक के खून-पसीने की कमाई का सवाल है जो हर दिन टैक्स देता है, वोट देता है और उम्मीद करता है कि सिस्टम ईमानदार होगा।इस पूरे मामले की निष्पक्ष जांच होनी चाहिए। और अगर कोई दोषी पाया गया तो सिर्फ़ बायन नहीं, एक्शन भी होना चाहिए।
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