धमतरी। जिले में आदिवासी भूमि संरक्षण कानूनों की अनदेखी का मामला सामने आया है। तहसील धमतरी क्षेत्र में एक प्रकरण में अनुमति अवधि समाप्त होने के बाद भी कथित फर्जी दस्तावेजों के आधार पर गैर-आदिवासी के नाम भूमि रजिस्ट्री कर दी गई। इस संबंध में आरटीआई कार्यकर्ता हरिशंकर मरकाम ने कलेक्टर को शिकायत सौंपकर कठोर कार्रवाई की मांग की है। मामले में वर्ष 2022 में कलेक्टर न्यायालय ने विक्रय की अनुमति दी थी, जिसमें छह माह के भीतर रजिस्ट्री की शर्त रखी गई थी। निर्धारित अवधि पूरी होने पर अनुमति स्वतः निरस्त मानी जानी थी। इसके बावजूद जुलाई 2023 में कथित कूट रचित दस्तावेजों के आधार पर रजिस्ट्री कर दी गई। शिकायतकर्ता ने कहा कि यह न केवल न्यायालयीन आदेश की अवमानना है बल्कि छत्तीसगढ़ भू-राजस्व संहिता और आदिवासी भूमि संरक्षण अधिनियम के उल्लंघन के साथ भारतीय दंड संहिता के अंतर्गत भी दंडनीय अपराध है।
मरकाम ने प्रशासन से मांग की है कि प्रकरण की निष्पक्ष जांच कर दोषियों की जवाबदेही तय की जाए, अवैध रजिस्ट्री तत्काल निरस्त की जाए और संबंधित व्यक्तियों के खिलाफ आपराधिक प्रकरण दर्ज किया जाए। साथ ही यदि किसी अधिकारी-कर्मचारी की लापरवाही पाई जाती है तो उसकी जिम्मेदारी भी तय की जाए। इस मामले को लेकर आदिवासी समाज की भूमि संरक्षण व्यवस्था पर गंभीर सवाल उठने लगे हैं। शिकायतकर्ता का कहना है कि यदि ऐसे मामलों पर कठोर कार्रवाई नहीं हुई तो भविष्य में अवैध हस्तांतरण की घटनाएं बढ़ सकती हैं और समाज के संवैधानिक अधिकार प्रभावित होंगे।
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