दुर्गेश साहू धमतरी। कभी फाइलें रहस्यमय ढंग से गायब हो जाती हैं, कभी दस्तावेज़ों में नाम बदलकर नया जादू दिखा दिया जाता है, तो कभी जनता का खून-पसीने का पैसा मिठाई के डिब्बों में घुलकर गले से नीचे उतर जाता है। शहर की गलियों से लेकर चाय की दुकानों तक चर्चा यही है कि ये दफ्तर है या कोई जादुई मंडली। सूत्रों का कहना है कि इस जिम्मेदार दफ्तर में खेल बड़ा ही दिलचस्प है। नाम रामलाल का होता है, लेकिन काम श्यामलाल का निकल आता है। सवाल उठता है कि आखिर कौन है वो ताक़तवर अफसर जिनके संरक्षण में ये सब तमाशा चल रहा है? लोग बताते हैं कि कुछ अफसर अपनी कुर्सी से ऐसे चिपके हैं मानो ये सरकारी पद नहीं बल्कि पुश्तैनी विरासत हो। हटने का नाम नहीं, सुधरने का काम नहीं। मानो ये कुर्सी नहीं, सोने का सिंहासन हो, जिस पर बैठे रहना ही असली सेवा है, चाहे जनता का पैसा बर्बाद हो या नियमों की धज्जियां उड़ जाएं।
अब कुछ नया सुनिए... मिठाई वाला मामला तो चटपटा स्वाद बन चुका है। सूत्रों की मानें तो हाल ही में लगभग 8 लाख रुपए की मिठाई किसी को खिलाई गई। सवाल ये उठ रहा है कि क्या ये मिठाई जनता की भलाई के लिए थी या किसी कड़वे सच को मीठे में दबाने के लिए? जनता पूछ रही है कि आठ लाख की मिठाई किसको खिलाई गई, आखिर क्यों खिलाई गई? मीठे में छुपा सच था या कड़वे खेल की कमाई? अब जनता के बीच खुलकर बातें हो रही हैं कि अगर आज मिठाई में पैसा घुल रहा है तो कल कौन-सा नया तमाशा देखने को मिलेगा। कहीं रजिस्टरों में हेराफेरी, कहीं बिलों में गड़बड़ी, कहीं अफसरों की चुप्पी… और सबसे बड़ा सवाल क्या जिम्मेदारी तय होगी या सबकुछ फाइलों के ढेर में दबा दिया जाएगा? ये तो बस शुरुआत है, असली कहानी अभी बाकी है। धमतरी दर्पण न्यूज़ जल्द अगले अध्याय में खुलासा करेगा कि कौन है वो अफसर, कौन है वो कर्मचारी, किस पद पर बैठे हैं और कहाँ-कहाँ से खेल रचा जा रहा है। तब मिठाई नहीं बंटेगी, बल्कि कड़वी सच्चाई सामने आएगी।