दुर्गेश साहू धमतरी।नवरात्र शुरू होते ही धमतरी जिले के ग्राम बरारी के जंगलों में आस्था का सैलाब उमड़ पड़ता है। दूर-दराज़ से श्रद्धालु माता लोल्लर दाई के दरबार में दर्शन करने पहुंचते हैं। मान्यता है कि माता के चमत्कार दूर-दूर तक प्रसिद्ध हैं और जो भी भक्त उनकी शरण में आता है, खाली हाथ नहीं लौटता। धमतरी से करीब 12 किलोमीटर दूर ग्राम बरारी के यह वन देवी की खासियत यह है कि यहां न कोई भव्य गर्भगृह है और न ऊँचे-ऊँचे शिखर, क्योंकि माना जाता है कि माता को खुले आसमान और वनभूमि ही प्रिय है। प्रकृति की गोद में विराजमान यह दरबार सदियों से आस्था का केंद्र रहा है। ग्रामीणों का विश्वास है कि माता लोल्लर दाई केवल एक नारियल के माध्यम से हर मनोकामना पूरी कर देती हैं। माता की स्थापना आदि काल से मानी जाती है। हालांकि वर्ष 2003 में एक समिति बनी और पहली बार यहां माता की मूर्ति स्थापित की गई। पुजारी बताते हैं कि माता ने स्वयं सेवक के स्वप्न में दर्शन देकर कहा था मेरा स्वरूप इसी रूप में बनाकर स्थापित करो। तभी से माता का दृश्य रूप सामने आया, वरना उससे पहले भक्त उन्हें केवल अदृश्य रूप में ही पूजते थे। माता लोल्लर दाई शिवजी के अंश से उत्पन्न हुईं और सिहावा पहाड़ से लुढ़कते हुए लोढ़हा के समान बरारी तक आईं थी। जब वे महानदी की के साथ बढ़ रही थीं, तब सप्तऋषियों ने उन्हें रोककर कहा तुम यहीं विराजमान हो जाओ, एक दिन यह स्थान धाम बनेगा और तुम्हारी पूजा दूर-दूर तक होगी। तभी से माता इस वन में प्रतिष्ठित हो गईं और वन देवी के रूप में पूजी जाने लगीं। माता के चमत्कारों की कहानियां आज भी गांव-गांव में सुनाई जाती हैं। एक श्रद्धालु का भांजा बोल नहीं पाता था। उन्होंने माता से मनौती मांगी कि यदि बच्चा बोलने लगे तो एक नारियल अर्पित करेंगे। कुछ ही महीनों में बालक बोलने लगा, लेकिन नारियल चढ़ाना वे भूल गए। तभी माता स्वप्न में आईं और उन्हें याद दिलाया मनोकामना तो पूरी हो गई, लेकिन मेरा नारियल अब तक नहीं आया। अगली सुबह भक्त मंदिर पहुंचा और नारियल समर्पित कर दिया।
माता लोल्लर दाई को केवल इंसान ही नहीं, बल्कि जीव-जंतु भी मानते हैं। कहते हैं कि इस रास्ते से गुजरते हाथी अक्सर मंदिर के सामने रुककर प्रणाम करते हैं और फिर आगे बढ़ जाते हैं। पुजारी बताते हैं कि अब तक किसी हाथी व अन्य जानवर कभी मंदिर को नुकसान नहीं पहुंचाया। यहाँ तक कि पट्टा वाला बाघ और अन्य जंगली जीव भी माता के दरबार में आते-जाते देखे गए हैं। गांव के श्रद्धालु भगवतराम देवांगन बताते हैं कि वे बीस वर्षों से माता के दरबार आ रहे हैं। उनके अनुसार, माता ग्यारह गांवों की देवी हैं और हर भक्त की मनोकामना पूरी करती हैं। यही वजह है कि चैत्र नवरात्र पर यहां भव्य मेला लगता है। जिसमें दसवें दिन ग्यारह गांवों के देवी-देवता भी माता के दरबार में पहुंचते हैं और भक्ति का अद्भुत वातावरण बना देते हैं। ग्राम बरारी का यह स्थल केवल एक मंदिर नहीं, बल्कि आस्था और प्रकृति का अनोखा संगम है। कहा जाता है कि जो भी माता लोल्लर दाई की शरण में आता है, चाहे इंसान हो या वन्यजीव, उसकी प्रार्थना कभी अधूरी नहीं रहती।
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