दुर्गेश साहू धमतरी। जहां एक ओर सरकार पर्यावरण संतुलन और नदी संरक्षण की बात करती है, वहीं दूसरी ओर धमतरी की नदियों का सीना रातोंरात छलनी किया जा रहा है, और कानून को इसकी शायद भनक तक नहीं है, छत्तीसगढ़ में रेत खनन पर भले ही 10 जून से 15 अक्टूबर तक प्रतिबंध हो, लेकिन धमतरी में रेत माफिया को इस नियम की कोई परवाह नहीं है, यहाँ कानून सो रहा है और महानदी और पैरी जैसी नदियाँ रात के अँधेरे में लुट रही हैं। सूत्रों के मुताबिक, महानदी और पैरी नदी के घाटों जैसे सेलदीप, बोरसी, बुड़ेनी, लीलर, परखंदा, राजपुर, सोनेवारा, दोनर, कलारतराई, दर्री जैसे कुछ अन्य जगहों में हर रात बड़े पैमाने पर अवैध खनन चल रहा है। रात 10 बजे के बाद, चेन माउंटेन मशीनों को नदी में उतारा जाता है और सुबह 4 बजे तक सैकड़ों ट्रैक्टर और हाईवा से रेत ढोई जाती है, इस अवैध धंधे के लिए माफिया ने एक पूरा सिस्टम खड़ा कर रखा है, धमतरी से निकली एक हाईवा रेत रायपुर-दुर्ग जैसे पास के शहरों में 25 हजार रुपये तक में बेची जा रही है, जबकि महाराष्ट्र जैसे अन्य राज्यों में इसकी कीमत दो से तीन गुना ज्यादा होती है। जिला प्रशासन ने हाल ही में दोनार और सेलदीप में अवैध परिवहन करते 8 हाईवा और 9 सितंबर को भी दोनर, राजपुर और अरौद से 3 हाईवा साथ ही आज दिनांक 10 सितंबर को ग्राम दोनर से 3 वाहन और मंदरौद सेल्दीप से 2  हाइवा, अछोटा से 4 ट्रेक्टर तथा कलारतराई से 1 टिप्पर कुल 10 वाहनों को बिना पिट पास के अवैध रेत परिवहन पर कार्यवाही की गया।
कलेक्टर अविनाश मिश्रा ने सख्त लहजे में कहा था कि अवैध खनन को किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा, लेकिन सवाल यह है कि अगर कार्रवाई हो रही है, तो सिर्फ हाईवा, ट्रैक्टर ही क्यों पकड़े जा रहे हैं? आखिर खुलेआम नियमों का उल्लंघन कर रहे उन माफियाओं पर कार्रवाई क्यों नहीं होती, जो मशीनों से खनन करवा रहे हैं?

जिले में आम चर्चा है कि इस अवैध कारोबार के पीछे सफेदपोशों का हाथ है, यही वजह है कि जब तक इन बड़े नामों पर हाथ नहीं डाला जाता, तब तक सिर्फ हाईवा पकड़ने से रेत माफिया का यह खेल बंद नहीं होगा।