शिकायतकर्ता का कहना है कि वाहन नंबर का उल्लेख न होने से यह स्पष्ट नहीं हो पाता कि कौन-सा वाहन कितने किलोमीटर चला और उसमें कितना ईंधन खर्च हुआ। उनका आरोप है कि इस स्थिति से विभागीय पारदर्शिता पर प्रश्नचिह्न खड़े हो गए हैं और शासकीय निधि के दुरुपयोग की आशंका भी बढ़ी है। मरकाम ने कहा कि यदि लॉग बुक जैसे मूलभूत अभिलेख में पारदर्शिता नहीं होगी तो शासकीय वाहनों के संचालन और ईंधन व्यय की जवाबदेही तय करना असंभव हो जाएगा। उन्होंने कलेक्टर से मांग की है कि प्रकरण की विभागीय जांच हेतु सक्षम अधिकारी नियुक्त किया जाए। वाहन क्रमांक सहित सही एवं पूर्ण लॉग बुक की प्रतियां उपलब्ध कराई जाएं। दोषी पाए जाने पर संबंधित अधिकारी/कर्मचारियों पर कठोर, अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाए।इसके साथ ही मरकाम ने यह भी आग्रह किया है कि जांच और की गई कार्रवाई की जानकारी उन्हें लिखित रूप से उपलब्ध कराई जाए।
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