दुर्गेश साहू धमतरी। कांग्रेस में नया जिलाध्यक्ष कौन होगा, इसे लेकर धमतरी की राजनीति गरमा गई है। संगठनात्मक नेतृत्व कुछ समय से सवालों के घेरे में है। विपक्ष अपनी भूमिका को लेकर पीछे नज़र आ रहा है, जबकि जनता महंगाई, बिजली बिल और बढ़ती कीमतों से त्रस्त होकर विपक्ष से तेज़ आवाज़ उठाने की उम्मीद लगाए बैठी है। जनता का कहना है कि कांग्रेस के नेता बड़े-बड़े बयान तो देते हैं, लेकिन ज़मीनी स्तर पर उनका असर दिखाई नहीं देता। अब सबकी निगाहें नए जिलाध्यक्ष पर हैं कि क्या वे जनता की उम्मीदों पर खरे उतरेंगे। दरअसल शनिवार को पर्यवेक्षक रेहाना रियाज चिश्ती धमतरी पहुंचीं। उन्होंने बैठक में साफ कहा कि पार्टी को भाजपा के एजेंट की तरह काम करने वाला जिलाध्यक्ष नहीं चाहिए। हमें ऐसे कार्यकर्ता चाहिए जो पार्टी के लिए मजबूती से काम करें, सिर्फ पद लेकर न बैठ जाएं।
उन्होंने यह भी कहा कि युवाओं से लेकर 50 साल तक के अनुभवी कार्यकर्ताओं को मौका दिया जाएगा और जो बागी हो गए थे, उन्हें जिम्मेदारी नहीं दी जाएगी। चिश्ती ने बताया कि इस बार दावेदारों की संख्या काफी है और 8 तारीख को सभी नामों की जानकारी सामने रखी जाएगी। बैठक के दौरान देखा गया वरिष्ठ कार्यकर्ताओं के लिए कुर्सियों की कमी पड़ गई। कई दिग्गज नेताओं को बाहर खड़े रहना पड़ा और उनकी नाराज़गी छिपी नहीं रह सकी। कार्यकर्ताओं ने चुटकी लेते हुए कहा कि अध्यक्ष तो बाद में चुना जाएगा, पहले कुर्सी तो पूरी कर लो। इससे पूरे माहौल में और गरमाहट आ गई। बैठक में कार्यकर्ताओं के बीच फुसफुसाहट भी जारी रही। कुछ का कहना था कि नया जिलाध्यक्ष धमतरी विकासखंड से ही होना चाहिए ताकि यहां की कमजोर स्थिति सुधर सके। वहीं पीछे बैठे कार्यकर्ताओं में यह चर्चा भी चल रही थी कि स्पीकर की आवाज इतनी धीमी क्यों है। किसी ने मज़ाक में जवाब दिया कि आवाज इसलिए कम रखी गई है ताकि दूसरी पार्टी के लोग सुन न लें। दरअसल, साउंड सिस्टम की आवाज पीछे बैठे लोगों तक आवाज पहुंच ही नहीं रही थी। कार्यकर्ताओं के बीच यह सवाल भी चर्चा में रहा कि विधानसभा चुनाव के दौरान कई नेताओं ने दावेदारी पेश की थी, लेकिन टिकट किसी और को दे दिया गया। ऐसे में कार्यकर्ताओं में अब सवाल यह है कि क्या इस बार भी वही दोहराया जाएगा..? अब कांग्रेस कार्यकर्ता इंतज़ार में हैं कि नया जिलाध्यक्ष कौन होगा। जनता भी चाह रही है कि विपक्ष महंगाई और बिजली बिल जैसे मुद्दों पर सख़्ती से आवाज़ उठाए। लेकिन असली सवाल यही है कि क्या नया जिलाध्यक्ष इस जिम्मेदारी को निभा पाएगा या फिर उम्मीदें एक बार फिर अधूरी ही रह जाएंगी।
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