दुर्गेश साहू धमतरी। दीपावली के दौरान पुलिस प्रशासन ने सुरक्षा व्यवस्था को लेकर सराहनीय काम किया। शहर के मुख्य मार्गों पर गश्त, भीड़भाड़ वाले इलाकों में निगरानी और त्वरित प्रतिक्रिया के कारण कोई बड़ी घटना नहीं हुई। लेकिन इसी बीच जिले के अंदरूनी इलाकों से एक खतरनाक सच्चाई सामने आई है धमतरी में लाखों रुपये की नशीली दवाओं का कारोबार धड़ल्ले से चल रहा है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, हाल ही में गरियाबंद, छुरा, बोराई, खरियार रोड (उड़ीसा) और आसपास के क्षेत्रों से नशीली दवाओं की बड़ी खेप धमतरी पहुंची है। बताया जा रहा है कि केवल नेत्रों 10 नामक नशीली दवा के 50 से अधिक डब्बे बिक चुके हैं। इसके अलावा चिट्ठा, सिरप, अल्फा, इंजेक्शन, इस्फ़ार्मो जैसी अन्य दवाएं भी अलग-अलग स्थानों पर गुपचुप बेची जा रही हैं। नेत्रों की हर डब्बे में लगभग 100 पीस रहते हैं, जिनकी काला बाजार में एक पत्ते की कीमत करीब 1500 रुपए और एक नग 150 रुपए तक ली जा रही है।
जानकारों का कहना है कि पहले जहां नशा सिर्फ शराब या तंबाकू तक सीमित था, अब स्कूल-कॉलेज के युवाओं तक ये नशीली दवाइयां पहुंच चुकी हैं। यह स्थिति न केवल चिंताजनक है, बल्कि आने वाले समय में समाज की नींव को हिलाने वाली साबित हो सकती है। सबसे बड़ा सवाल यही है क्या पुलिस को इनकी खबर नहीं है? इतनी बड़ी मात्रा में नशीली दवाएं बिक गईं और किसी को भनक तक नहीं लगी? या फिर मामला जानकारी होने के बावजूद कहीं न कहीं से संरक्षण मिलने का है? सूत्रों के मुताबिक, पुलिस विभाग के कुछ लोगों को इन गतिविधियों की जानकारी है, पर कार्रवाई के नाम पर सिर्फ निगरानी में है कहकर मामला टाल दिया जाता है। इसी वजह से नशीली दवाओं का नेटवर्क अब जिले के गली-कूचों तक फैल चुका है। अब वक्त है कि प्रशासन इस खेल को गंभीरता से ले क्योंकि अगर आज कार्रवाई नहीं हुई, तो कल ये नशा हमारे समाज की आने वाली पीढ़ी को बर्बाद कर देगा।
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