धमतरी का वो मंदिर, जहाँ सालभर नहीं सिर्फ नवरात्र में होते हैं माता के दर्शन
October 03, 2025
दुर्गेश साहू।धमतरी शहर में एक ऐसा मंदिर है, जहाँ माता रानी का असली रूप सालभर नहीं, बल्कि केवल नवरात्र में ही देखने को मिलता है। मराठापारा स्थित कंकाली माता मंदिर, जिसे लोग मंदर माई के नाम से भी जानते हैं, अपनी अनोखी झपली परंपरा और चमत्कारिक मान्यताओं के कारण आज भी आस्था का बड़ा केंद्र माना जाता है। करीब दो सौ साल पुराना यह मंदिर आज भी लोगों की श्रद्धा का प्रतीक है। बताया जाता है कि मालगुजार ने पुजारी राजकुमार ध्रुव के दादा-परदादा के द्वारा बगीचे की देखरेख के लिए माता को यहाँ लेकर आए थे और तभी से इस मंदिर की स्थापना हुई। तब से लेकर आज तक यह मंदिर लोगों की आस्था और विश्वास का आधार बना हुआ है। इस मंदिर की सबसे बड़ी विशेषता झपली परंपरा है। माता सालभर झपली के भीतर विराजमान रहती हैं और केवल नवरात्र में ही बाहर निकलती हैं। शरद नवरात्र में पंचमी के दिन माता को झपली से बाहर निकाला जाता है और एकादशी के बाद फिर से झपली में रख दिया जाता है। वहीं चैत्र नवरात्र में माता को पहले दिन से ही झपली से बाहर निकाला जाता है। श्रद्धालुओं का मानना है कि माता झपली से बाहर आती हैं तो उनके दर्शन मात्र से मनोकामनाएँ पूरी हो जाती हैं। इस मंदिर से जुड़ी मान्यताएँ और चमत्कार भी भक्तों की आस्था को और गहरा करते हैं। बताया जाता है कि पूर्वजों के जमाने से लेकर आज तक इस वार्ड में हैजा जैसी बीमारी का प्रकोप कभी नहीं हुआ है, जबकि आसपास के मोहल्लों में शिकायतें आती रही हैं। लोग इसे माता का आशीर्वाद और मंदिर का चमत्कार मानते हैं। यहाँ ज्योत जलाने की परंपरा भी विशेष महत्व रखती है। पहले केवल एक नवरात्र में ही ज्योत जलाई जाती थी, लेकिन दूर-दराज़ से आने वाले भक्तों की इच्छा पूरी नहीं हो पाती थी। तब पुजारियों ने माता से प्रार्थना की और अब शरद और चैत्र दोनों नवरात्र में ज्योत जलाने की परंपरा शुरू हो गई।
शरद नवरात्र में दशहरा के दूसरे दिन यहाँ से माता का भव्य जावरा विसर्जन निकलता है। यह जावरा मराठापारा से शुरू होकर गणेश चौक, रामबाग, मां विंध्यवासिनी मंदिर से होती हुई शीतला माता मंदिर तक पहुँचती है, जहाँ माता का विसर्जन किया जाता है। इस अवसर पर न केवल स्थानीय लोग बल्कि अन्य राज्यों से भी भक्त बड़ी संख्या में शामिल होते हैं। भक्त माता का बाणा लेकर अपनी मनोकामनाएँ माँगते हैं और इसे पूरी निष्ठा से निभाते हैं। हर साल नवरात्र में इस मंदिर में श्रद्धालुओं का ताँता लगता है। माता के झपली से बाहर आने वाले दिव्य स्वरूप के दर्शन और दशहरा जावरा की भव्यता को देखने के लिए लोग दूर-दराज़ से पहुँचते हैं। यही कारण है कि मराठापारा का यह मंदर माता मंदिर न केवल धमतरी बल्कि पूरे प्रदेश और बाहर से आने वाले श्रद्धालुओं के लिए आस्था और विश्वास का प्रमुख केंद्र बन चुका है।
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