दुर्गेश साहू धमतरी। सर्द हवाओं के बीच शहर की राजनीतिक गर्मी तेज हो गई है। कांग्रेस में नए जिलाध्यक्ष की नियुक्ति को लेकर चर्चा चरम पर है और नेताओं से लेकर कार्यकर्ताओं तक सबकी धड़कनें तेज हो चुकी हैं। लंबे इंतजार के बाद अब संकेत मिल रहे हैं कि जिलाध्यक्ष का नाम जल्द ही सार्वजनिक हो सकता है। धमतरी की राजनीति में पिछले कई महीनों से यह सवाल बार-बार गूंज रहा है कि आखिर पार्टी की कमान किसे सौंपी जाएगी। कार्यकर्ताओं में नई उम्मीद इसलिए भी है क्योंकि वे चाहते हैं कि महंगाई, अव्यवस्था और स्थानीय समस्याओं पर विपक्ष की भूमिका और मुखर हो। उनका मानना है कि नए जिलाध्यक्ष को इन मुद्दों को मजबूती से उठाना चाहिए क्योंकि पूर्व जिलाध्यक्ष का कार्यकाल सवालों के घेरे में रहा और समय-समय पर गुटबाज़ी खुलकर सामने आई।
सूत्र बताते हैं कि करीब छह नाम संगठन स्तर तक भेजे गए हैं। हर नेता अपने पसंदीदा कार्यकर्ता को जिलाध्यक्ष के रूप में देखना चाहता है। यही वजह है कि पार्टी के भीतर खींचतान एक बार फिर बढ़ गई है। दिलचस्प बात यह है कि कार्यकर्ता चाहे किसी भी खेमे का हो, पूछने पर वही अपने ही नेता का नाम जिलाध्यक्ष के लिए सबसे योग्य बताता है। बताया जा रहा है कि सत्ता जाने के बाद कांग्रेस की अंदरूनी खींचतान और भी बढ़ गई थी। कार्यकर्ताओं का एक वर्ग स्थानीय मुद्दों को उठाना चाहता था, लेकिन उन्हें बार-बार रोका जाता रहा। यहां तक कि कुछ मौकों पर उन पर भाजपा के एजेंट जैसे तंज भी लगाए गए। अब जिलाध्यक्ष बदलने की चर्चा के साथ पुरानी खींचतान फिर से उभर रही है, और अलग-अलग गुट सक्रिय होकर अपने उम्मीदवार को मजबूत करने में जुट गए हैं। सूत्रों के अनुसार जिलाध्यक्ष पद की दौड़ में निशु चंद्राकर, गुरमुख सिंह होरा, आनंद पावर भरत नाहर और तारणि चंद्राकर के नाम प्रमुखता से सामने हैं। हालांकि बताया जा रहा है कि कुछ नाम ऐसे भी ऊपर भेजे गए हैं जिन्होंने प्रभारी के सामने दावेदारी तक प्रस्तुत नहीं की थी। यह कितना सही है यह तो घोषणा के बाद ही स्पष्ट होगा। फिलहाल शहर में सिर्फ एक ही चर्चा है कि नए जिलाध्यक्ष कौन होंगे और क्या वह विपक्ष की भूमिका निभाते हुए जनता के मुद्दों को जोरदार तरीके से उठाएंगे? कांग्रेस के अंदरूनी समीकरण, नेताओं की महत्वाकांक्षा और गुटबाज़ी सब कुछ इस चुनाव के साथ एक बार फिर सतह पर आ गया है।
धमतरी में धान खरीदी न होने से किसान परेशान हैं, लेकिन इस गंभीर मुद्दे पर भी युवा कांग्रेस के कुछ ही कार्यकर्ताओं का विरोध प्रदर्शन कांग्रेस की आंतरिक गुटबाजी को उजागर करता है। विडंबना यह है कि किसानों के हित में अब तक न तो पार्टी ने कोई आधिकारिक जांच कमेटी बनाई है और न ही बड़े स्तर पर कोई विरोध रणनीति दिखाई है।
अब धमतरी को इंतजार है सिर्फ एक नाम का… जो तय करेगा कि जिले में कांग्रेस की कमान किसके हाथ जाएगी और आगे राजनीति का रास्ता किस दिशा में मुड़ेगा।


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