दुर्गेश साहू। नाम था यूनिटी मार्च एवं आत्मनिर्भर भारत, मकसद था एकता और विकास का संदेश देना लेकिन मंच पर जो तस्वीर उभरी, उसने यूनिटी को डिवाइडेड पॉलिटिक्स में बदल दिया। नगर पंचायत आमदी में आयोजित इस प्रशासनिक कार्यक्रम में सांसद रूपकुमारी चौधरी व स्थानीय जनप्रतिनिधि जिले के वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी मौजूद रहे। केंद्र सरकार की योजनाओं को जन-जन तक पहुँचाने के उद्देश्य से आयोजित यह कार्यक्रम अब विवादों में घिर गया है। स्थानीय जनप्रतिनिधि क्षेत्रीय विधायक का कार्यक्रम के पोस्टर से फोटो नदारद थीं। जिससे माहौल एकता के मंच से बदलकर सियासी मुकाबले में तब्दील हो गया। विधायक के गृहग्राम आमदी में यह आयोजन हुआ, जहाँ जनता की निगाहें पोस्टर पर थीं लेकिन वो चेहरा नहीं था जिसके बाद कांग्रेस पार्षदों और सदस्यों ने इसे लोकतंत्र की मर्यादा का अपमान बताया, वहीं प्रशासनिक हलकों में इसे महज तकनीकी भूल कहकर टालने की कोशिश की जा रही है। नेता प्रतिपक्ष ऋषभ ठाकुर ने कहा सरकारी कार्यक्रम जनता के लिए होते हैं, किसी दल के प्रचार मंच के लिए नहीं। अगर जनता से चुने हुए प्रतिनिधियों की तस्वीरें हटाई जाती हैं, तो यह लोकतंत्र नहीं, अहंकार का प्रदर्शन है। प्रशासन की ओर से अब तक इस पूरे मामले में कोई जवाब सामने नहीं आया है। ज्ञात हो कि धमतरी की राजनीति में गुटबाजी और भीतरघात कोई नई बात नहीं समय-समय पर ऐसी स्थितियाँ सामने आती रही हैं, जहाँ राजनीति की रेखा प्रशासन तक खिंच जाती है।
अब सवाल यही है क्या यूनिटी मार्च का संदेश आमदी तक पहुँच पाया, या एकता के नाम पर एक बार फिर धमतरी की सियासत बंट गई?


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