दुर्गेश साहू धमतरी। छत्तीसगढ़ स्थापना दिवस के अवसर पर जहाँ एक ओर राजधानी रायपुर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की उपस्थिति में भव्य आयोजन हुए, वहीं धमतरी जिले से एक अप्रत्याशित दृश्य सामने आया। कलेक्टर कार्यालय परिसर में स्थित छत्तीसगढ़ महतारी की प्रतिमा, जिसका लोकार्पण 17 जुलाई 2023 को तत्कालीन मुख्यमंत्री भूपेश बघेल द्वारा किया गया था, उसी प्रतिमा पर 1 नवंबर 2025, छत्तीसगढ़ स्थापना दिवस के दिन, जिला प्रशासन द्वारा न तो पूजा-अर्चना की गई और न ही माल्यार्पण किया गया। सुबह से जिला प्रशासन के अधिकारी स्थापना दिवस के आयोजन में व्यस्त रहे। परिसर में साफ-सफाई अवश्य की गई, किन्तु छत्तीसगढ़ महतारी की प्रतिमा पर एक माला तक नहीं चढ़ाई गई। दोपहर लगभग 1:30 बजे, सूचना मिलने पर यूथ कांग्रेस के पदाधिकारी एवं कार्यकर्ता कलेक्टर कार्यालय पहुँचे और स्वयं पूजा-अर्चना कर महतारी का माल्यार्पण किया।
यूथ कांग्रेस के कार्यकर्ताओं का कहना है कि जिस छत्तीसगढ़ महतारी के नाम पर यह दिवस मनाया जा रहा है, उसी की प्रतिमा की उपेक्षा प्रशासन की संवेदनशीलता पर प्रश्नचिह्न लगाती है। जबकि प्रशासन द्वारा स्थापना दिवस के कार्यक्रमों पर लाखों रुपये व्यय किए जा रहे हैं, 2 से 4 नवंबर तक विविध आयोजन निर्धारित हैं। तथापि, मूल प्रतीक के प्रति यह उपेक्षा तैयारियों की गंभीरता पर संदेह उत्पन्न करती है। यह पहली बार नहीं है जब जिला प्रशासन की लापरवाही सामने आई हो। 2 अक्टूबर गांधी जयंती के अवसर पर भी कलेक्टर एसपी कार्यालय के सामने और जिला पंचायत परिसर में स्थित महात्मा गांधी एवं अन्य स्वतंत्रता सेनानियों की प्रतिमाएँ खरपतवार और झाड़ियों से ढकी मिली थीं। उस समय धमतरी दर्पण न्यूज़ ने इस विषय को प्रमुखता से उठाया था, ताकि प्रशासन का ध्यान इस ओर आकर्षित हो सके।
इसके बावजूद 2 अक्टूबर बीत गया और प्रतिमाओं की स्थिति में कोई सुधार नहीं हुआ। यह स्थिति विशेष रूप से चिंताजनक इसलिए है क्योंकि उसी अवधि में प्रदेशभर में सेवा पखवाड़ा मनाया जा रहा था, जिसका उद्देश्य स्वच्छता और जनसेवा को बढ़ावा देना था। इसके बावजूद, जिला मुख्यालय की प्रमुख प्रतिमाओं के आस-पास मूलभूत सफाई तक नहीं की गई। जिला पंचायत परिसर में स्थित गांधी प्रतिमा की दशा भी समान रूप से उपेक्षित रही। धमतरी दर्पण की टीम ने कई बार वहाँ जाकर स्थिति का अवलोकन किया न कोई माला, न पुष्पांजलि, न श्रद्धांजलि का कोई निशान नहीं था। नागरिकों का कहना है कि यह मुद्दा केवल साफ-सफाई या औपचारिकताओं का नहीं, बल्कि सम्मान और संवेदनशीलता का प्रतीक है। जब मंचों से छत्तीसगढ़ महतारी के गौरव और संस्कृति की बातें की जाती हैं, तब उन्हीं प्रतीकों की उपेक्षा यह दर्शाती है कि सम्मान अब केवल भाषणों तक सीमित रह गया है?




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